अंडे का फंडा

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I recently came across “The Egg”, a deeply meaningful short story by Andy Weir (the author of The Martian). It captures the essence of ancient Hindu philosophy in a very accessible manner. It turns out that the story has been extremely popular with his readers and the author has even linked to many translations of it created by his readers. I noticed that it did not have Hindi or Marathi translations, so decided to create them myself. Following is the Hindi translation. For the Marathi translation, please look here.


अंडे का फंडा

लेखक: एंडी वीयर, हिंदी अनुवाद: विनायक भालेराव

By Manaku - https://theprint.in/pageturner/afterword/b-n-goswamy-brings-life-elusive-pahari-painter-manaku-guler/14421/, Public Domain, https://commons.wikimedia.org/w/index.php?curid=69671721

तुम बस तुम्हारी कार से अपने घर जा रहे थे – तब अचानकसे तुम्हारी मृत्यु हो गई |

तुम्हारी कार का एक्सीडेंट हुआ । वैसे कहूं, तो वह एक सामान्य दुर्घटना थी, लेकिन तुम्हारे लिए फिर भी घातक रही ।

तुम्हे अपनी पत्नी और दो बच्चों को पीछे छोड़ना पड़ा | एक झटके में सब ख़त्म | एम्ब्युलन्स वालोंने बहुत कोशिश की, लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ | तुम्हारे जिस्म की हालत इतनी बुरी हुई थी, समझ लो के जो भी हुआ, तुम्हारे लिए अच्छा ही हुआ |

और तभी हमारी मुलाक़ात हुई |

“क्या ? क्या हुआ मुझे ?” तुम ने पूछा । “मैं कहाँ हूँ ?”

“आप मर चुके हैं,” मैंने सीधे कह दिया | यहाँ पर ज्यादा घुमा फिरा के बात करने की कोई ज़रुरत नहीं |

“अब याद आया, सामने से एक ट्रक आ रहा था, शायद उसका ब्रेक फ़ैल हो गया था |”

“बराबर |” मैंने कहा |

“तो… मैं मर गया ?”

“हाँ | लेकिन बुरा मत मानो | वैसे एक न एक दिन सभीको मरना पड़ता है,” मैं ने कह दिया |

तुमने चारों ओर देखा, लेकिन यहाँ तो कुछ भी नहीं है । सिर्फ तुम और मैं ।

“यह कौन सी जगह है ?” तुम ने पूछा । “क्या यह परलोक है ?”

“हाँ, समझ लो ऐसा ही कुछ,” मैंने कहा ।

“तो… क्या तुम भगवान हो?” तुम ने पूछा ।

“हाँ,” मैंने जवाब दिया, “मैं भगवान हूं ।”

“मेरे बच्चे… मेरी पत्नी,” तुम्हे अचानक से याद आया ।

“उनका क्या होगा ? क्या वे ठीक हैं ?”

“अब हुई ना बात,” मैंने कहा । “तुम अभी-अभी मरे हो और तुम्हारी मुख्य चिंता तुम्हारे परिवार के बारे में है । भई मुझे तो बड़ा अच्छा लगा यह सुनकर ।”

तुमने मुझे गौर से देखा । तुम्हारे लिए मेरा यह स्वरूप भगवान के जैसा नहीं दिख रहा था । तुम्हे तो मैं बस एक आम आदमी के जैसे दिख रहा था । शायद कोई महिला भी । या कोई बड़ी हस्ती । शायद किसी स्कूल के प्राध्यापक जैसी, परमात्मा जैसी नहीं ।

“चिंता करने की ज़रूरत नहीं,” मैंने कहा । “वे सब ठीक है । यह तुम्हारा नसीब समझ लो के अकाली मृत्यु होने के कारन तुम्हारे बच्चे तुम्हे हर तरह से परिपूर्ण और बढ़िया रूप में ही याद रखेंगे । तुम में कोई कमी महसूस करने के लिए उन्हें समय ही नहीं मिला । वैसे तुम्हारी पत्नी बाहर से रोएगी, लेकिन अंदर से उसे राहत मिलेगी । सच कहूं तो मुझे मालूम था की आप दोनों में दुरावा आ गया था । तुम बस इसी बात में सुकून पाओ के वह इस तरह से राहत महसूस करने के लिए खुद को बडी दोषी ठहराएगी ।”

“ओह,” तुम ने कहा, “तो अब मेरा क्या होगा ? मैं स्वर्ग जाऊँगा या नरक ?”

“दोनों गलत,” मैंने कहा, “तुम्हारा पुनर्जन्म होगा ।”

“आह,” तुमने कहा, “तो हिंदू धर्म में कहा है वैसे ?”

“सभी धर्म अपने अपने तरीके से सही हैं,” मैंने कहा, “मेरे साथ चलो ।”

तुम इस निराकार जगह पर मेरे पीछे पीछे आने लगे । “हम कहां जा रहे हैं ?”

“वैसे कहीं नहीं,” मैंने कहा, “बस बात करते समय चलना अच्छा लगता है ।”

“लेकिन एक बात समझ में नहीं आई,” तुम ने पूछा, “जब मेरा पुनर्जन्म होगा, तो मैं पूरी तरह से नया बन जाऊँगा, है ना ? जैसे कि एक शिशु । मेरे सारे अनुभव और इस जीवन में मैंने जो कुछ भी किया, वह अगले जन्म में कोई मायने नहीं रखेगा | सही है ना ?”

“नहीं तो,” मैंने कहा, “तुम्हारे पास तुम्हारे पिछले सभी जन्मों का सारा ज्ञान और अनुभव है । बस वह तुम्हें अभी याद नहीं आ रहा है ।”

चलते चलते मैं रुक गया और तुम्हें कंधे से पकड़ लिया । “तुम भूल गए हो के तुम्हारी आत्मा तुम्हारी सोच से कहीं अधिक शानदार, सुंदर और विशाल है । एक मानव के मन में उसका एक छोटा सा अंश ही समा सकता है । यह एक पानी के गिलास में अपनी उंगली डालकर देखने जैसा है, यह देखने के लिए के पानी गर्म है या ठंडा । तुम अपने शरीर का एक छोटा सा हिस्सा पानी में डुबोते हो, वापस लेते हो, और सोचते हो कि तुमने इस पानी के सभी अनुभव प्राप्त कर लिए हैं !”

“तुम पिछले 48 वर्षों से एक मानव शरीर के अंदर हो, और उससे मुक्ति पाने के बाद तुम्हें अब पूरी तरीके से फैलने का मौका ही नहीं मिला है | तुमने अपने विशाल अस्तित्व को अभी महसूस ही नहीं किया है । अगर हम यहां काफी देर तक रहे, तो तुम्हें सब कुछ याद आने लगेगा । लेकिन दो जीवनोंके बीच ऐसा करने का कोई मतलब नहीं है ।”

“तो… कितनी बार मेरा पुनर्जन्म हुआ है ?”

“ओह, बहुत बार । बहुत बहुत बार ! बहुत सारे अलग-अलग जीवनों में,” मैंने कहा, “इस बार, तुम 540 ईस्वी सदी में, एक चीनी किसान लड़की के स्वरूप में जन्म लोगे ।”

“रुको ! क्या ?” तुम गड़बड़ाकर बोले, “आप मुझे भूतकाल में भेज रहे हैं ?”

“हाँ, वैसे तुम्हारी समझ के अनुसार यह बराबर है । लेकिन काल, जैसा कि तुम जानते हो, केवल तुम्हारे विश्व में मौजूद है । मैं जहां से हूँ वहां उसका कोई मतलब नहीं है ।”

“आप कहाँ से हैं ?” तुम ने पूछा ।

“मैं कहीं और से आया हूँ । एकदम दूर से | वहाँ मेरे जैसे और भी हैं । अब मुझे पता है कि तुम जानना चाहोगे कि वहां कैसा है, लेकिन ईमानदारी से कहता हूँ, तुम समझ नहीं पाओगे ।”

“ओह,” तुमने कहा, थोड़ा निराश बनकर, “पर रुको । अगर मैंने अलग अलग काल में पुनर्जन्म लिया है, तो क्या हो सकता है के मैंने कभी अपने आप से बातचीत की हो ?”

“ज़रूर ! यह तो हमेशा होता है । लेकिन दोनों जीवन केवल अपने-अपने जीवनकाल के बारे में जानते हैं, तो वह यह भी नहीं जान पाते कि ऐसा हो रहा है ।”

“तो फिर ऐसी ज़िन्दगी का क्या मतलब है ?”

“सच ?” मैंने पूछ लिया, “तुम मुझसे जीवन का रहस्य पूछ रहे हो ? इतना घिसा-पिटा सवाल ?”

“लेकिन यह तो एक वाजिब सवाल है,” तुम अड़े रहे ।

मैंने तुम्हारी आँखों में देखा । “जीवन का रहस्य, जिस कारण मैंने इस पूरे ब्रह्मांड को बनाया है, वह है तुम्हारी समझ बढ़ाना ।”

“आपका मतलब सारी मानव जाति है, ना ? आप चाहते हैं कि हमारी समझ बढे ?”

“नहीं, सिर्फ तुम्हारी ! मैंने सिर्फ तुम्हारे लिए यह सारा ब्रह्मांड बनाया है । प्रत्येक नए जीवन के साथ तुम्हारी समझ बढ़ती है और तुम और ज्ञानी बन जाते हो ।”

“केवल मैं ? बाकी सबका क्या ?”

“तुम समझे नहीं अब तक | यहाँ कोई और नहीं है,” मैंने कहा, “इस पूरे ब्रह्मांड में केवल तुम और मैं हूँ ।”

तुमने मुझे आश्चर्य से देखा, “लेकिन पृथ्वी पर सभी लोग …”

“सब तुम्ही हो । तुम्हारे विभिन्न अवतार ।”

“रुको ! मैं ही सब लोग हूँ !?”

“अब समझ में आया,” मैंने पीठ पर एक थपकी मारते हुए कहा ।

“मैं हर इंसान हूँ जो कभी ज़िंदा था ?”

“या जो आगे चलकर रहेगा | हाँ ।”

“मैं अब्राहम लिंकन हूँ ?”

“और तुम जॉन विल्क्स बूथ भी हो,” मैंने जोड़ा ।

“मैं हिटलर हूँ ?” तुमने कहा, भयभीत बनकर ।

“और तुम वह लाखों लोग भी हो जिसे उसने मार डाला ।”

“मैं यीशु हूँ ?”

“और तुम वह सभी हो जो उनको मानते हैं ।”

तुम चुप हो गए ।

“जब जब तुमने किसी को पीड़ित किया था, तब तुम खुद ही को पीड़ित कर रहे थे । और जब जब तुमने किसी के साथ अच्छी तरह से बर्ताव किया था, तो उसका फ़ायदा भी तुम्हे ही मिला था । किसी भी इंसान ने, कभी भी, जो भी, सुख या दुख का क्षण अनुभव किया हो, वह सभी तुम्हारे द्वारा ही अनुभव किया गया था, और आगे चलकर भी रहेगा ।”

तुमने बहुत देर तक सोचा ।

“लेकिन क्यों ?” आखिर तुमने पूछा, “तुम यह सब क्यों कर रहे हो ?”

“क्योंकि किसी दिन तुम मेरे जैसे बन जाओगे । क्योंकि तुम भी वैसेही हो । तुम मेरे ही बच्चे हो ।”

“वाह,” तुमने चकित होकर कहा, “तुम्हारा मतलब है कि मैं भगवान हूँ ?”

“नहीं । अभी नहीं । अभी तो तुम गर्भस्थ हो । तुम धीरे धीरे बढ़ रहे हो । जब तुम हर काल के हर कोई जीवित का जीवन जी जाओगे, तब सच्चे तरीके से पैदा होने के लिए तैयार हो जाओगे ।”

“तो पूरा ब्रह्मांड,” तुमने कहा, “यह बस एक …”

“एक अंडा है,” मैंने उत्तर दिया ।

“चलो… अब तुम्हारे लिए अपना अगला जन्म लेने का का समय आ गया है ।”

यह कहते हुए मैंने तुम्हें तुम्हारे नए रास्ते पर भेज दिया ।

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